गोलियों की गूंज, बम धमाके, हर तरफ फैली हिंसा, लग ही नहीं रहा था कि जान बचेगी। बचते-बचाते किसी तरह काबुल के एयरपोर्ट पर पहुंचा। बाहर गोलियां चल रही थीं। अंदर किसी तरह फ्लाइट मिल गई। अफगानिस्तान की सीमा में रहने तक भी यकीन वापस नहीं लौटा था।
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