कोरोना काल में मानवीय संवेदनाएं मर चुकी हैं। रामनगर में बेटे का शव 10 घंटे घर में पड़ा रहा लेकिन कोई झांकने तक नहीं आया। बेसुध मां की गुहार पर भी किसी का मन नहीं पसीजा।
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